सोमवार, 20 अप्रैल 2009

लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज






नागौर
15 वीं लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज होने लगी है। नागौर के 10 विधानसभा क्षेत्रों में से दो विधानसभा क्षेत्र नए परिसीमन के कारण राजसमंद लोकसभा क्षेत्र में चले गए हैं। 8 विधानसभा क्षेत्रों वाली नागौर लोकसभा सीट पर 3 पार्टियों ने अपने ठोस उम्मीदवार होने का दावा करते हुए कांग्रेसियों को खड़ा किया है। साढ़े 5 वर्ष पहले हुए विधानसभा चुनावों में नागौर जिले पर भाजपा का कब्जा हो गया था। 10 में से 9 विधायक सीटें भाजपा की झोली में चली गई थी। उसके 5 वर्ष बाद हुए चुनावों में भाजपा को 5 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। प्रदेश में सत्ता कांग्रेस की बन गई। नागौर के भाजपाईयों ने अतिउत्साह के साथ सांसद की सीट पर कब्जा करने की योजनाएं शुरू की लेकिन अचानक उनकी योजना तब ध्वस्त हो गई जब वर्तमान कांग्रेस की जिलाप्रमुख श्रीमती बिन्दु चैधरी लोकसभा सीट नागौर से भाजपा की टिकट लेकर आ टपकी। टिकट की घोषणा होते हुए भाजपा में अफरातफरी मच गई। भाजपा की मनमर्जी से आहत होकर नागौर जिलाध्यक्ष श्यामसुंदर काबरा ने पद से इस्तीफा दे दिया। अन्य कार्यकत्र्ताओं ने भी नाराजगी जताई। उसके बाद आचार संहिता उल्लंघन के मामले में भी श्रीमती बिन्दु चैधरी को नोटिस मिला। जवाब तलब हुआ। जिला निर्वाचन अधिकारी तथा राज्य निर्वाचन आयोग ने कार्रवाई की। मीडिया में प्रकाशित होने से श्रीमती चैधरी की किरकिरी हुई। इसी घटनाक्रम के दौरान लम्बे समय तक नागौर जिले के प्रसिद्ध रह चुके दिग्गज राजनेता स्वर्गीय नाथूराम मिर्धा की पोती डाॅ. ज्योति मिर्धा कांग्रेस की उम्मीदवार घोषित कर दी गई। हालांकि ज्योति का विरोध किसी भी व्यक्ति ने नहीं किया। मगर ज्योति के लिए बड़ी समस्या यह है कि भाजपा की टिकट पर खड़ी बिन्दु चैधरी की मूल राजनीति कांग्रेस से गहरा नाता रखती है। दूसरी बात दोनों महिलाएं एक ही जातिवर्ग से है। दोनों के हितचितंक भी जिले भर के गांवों में कांग्रेसी है। मतदाता क्या फैसला करेगा यह असमंजस की स्थिति में है। इसके साथ ही राजनीति को नया मोड़ देते हुए कांग्रेस में मंत्री रह चुके और मकराना क्षेत्र से 4 बार विधायक रह चुके अब्दुल अजीज बहुजन समाज पार्टी से नागौर सीट के लिए उम्मीदवार बन कर मैदान में आ टपके। बसपा उम्मीदवार की घोषणा होते हुए उक्त सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष होना तय हो गया। आम मतदाता निर्णय की स्थिति में नहीं पंहुच पा रहा है। सबसे रोचक बात यह है कि तीनों पार्टियों के प्रत्याशी घोषित होने तक कांग्रेसी थे। घोषणा के बाद लोगों को पता लगा कि श्रीमती बिन्दु भाजपा की प्रत्याशी है। अब्दुल अजीज बसपा के प्रत्याशी है। ज्योति मिर्धा कांग्रेस की प्रत्याशी है। इससे पहले तीनों कांग्रेसी थे। राजनैतिक चितंकों का मानना है कि भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी एक ही जाति वर्ग की महिलाएं होने के कारण जाट विरोधी मानसिकता रखने वाले मतदाता बसपा की तरफ मेहरबान हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में बसपा प्रत्याशी त्रिकोणीय संघर्ष के लिए सक्षम माने जा रहे हैं। भाजपा व कांग्रेस के साथ बसपा प्रत्याशी का जनसम्पर्क भी दिनोंदिन तेज होता जा रहा है। गत विधानसभा चुनावों में खींवसर विधानसभा क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी दुर्गसिंह को 34हजार मत मिले थे। दुर्गसिंह आज भी अब्दुल अजीज के साथ चुनावी दौरे कर रहे हैं। बसपा के जिले भर के कार्यकत्र्ता तन मन और धन से समर्पित होने के कारण जिले में बसपा की स्थिति मजबूत पार्टी के रूप में दिखने लगी है।

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